पैथोलॉजी बायोलॉजिकल साइंस की वह ब्रांच है जिसमें रोग के प्रभाव, व्यवहार और संरचना के बारे में पढ़ाया जाता है। पैथोलॉजी को हिंदी में विकृति विज्ञान कहते हैं। डॉक्टर के लिए मरीज की बीमारी का पता लगाने के लिए विभिन्न तरह के क्लीनिकल पैथोलॉजी टेस्ट सहायक होते हैं। जिसके माध्यम से डॉक्टर को पता चलता है कि शरीर में बीमारी क्या है और वह कितनी फैली हुई है।
पैथोलॉजी कई प्रकार की होती है जैसे: क्लिनिकल पैथोलॉजी, फॉरेंसिक पैथोलॉजी, न्यूरोपैथोलॉजी इत्यादि और 12वीं के बाद पैथोलॉजी कोर्स करने के बाद आप इस फील्ड में काम कर सकते हैं। आज के इस लेख भी हब मुख्य तौर पर क्लिनिकल पैथोलॉजी क्या है जानेंगे।
क्लीनिकल पैथोलॉजी क्या है?
यह पैथोलॉजी कि वह ब्रांच है; जिसमें विभिन्न तरह की लेबोरेटरी टेक्निक्स के द्वारा बीमारी के कारण पता किए जाते हैं। उदाहरण के लिए मरीज के रक्त के सैंपल द्वारा लेबोरेटरी उपकरणों के माध्यम से बीमारी का पता लगाना क्लिनिकल पैथोलॉजी के अंदर आता है।
क्लीनिकल पैथोलॉजी लैबोरेट्री
पैथोलॉजी लैबोरेट्री एक सुविधा है जो मानव शरीर से प्राप्त सामग्रियों की जीवविज्ञानिक, सूक्ष्मजीवविज्ञानिक, रक्तशास्त्रीय, रासायनिक, कोशिका-शास्त्रीय, पैथोलॉजिकल, इम्यूनोलॉजिकल, सेरोलॉजिकल, या अन्य अध्ययनों के लिए है। इसका उद्देश्य रोग के निदान, रोकथाम या उपचार के लिए मानव जीवन की स्वास्थ्य का मूल्यांकन प्रदान करना है।
क्लीनिकल पैथोलॉजी में शरीर के तरल पदार्थ का अध्ययन करते हैं। तरल पदार्थ जैसे मूत्र, CSF (सिब्रॉस्पाइडल फ्लुएड), पेरीटोनियल फ्लुएड, पैराकार्डियल फ्लुएड (हृदय संबंधित), सीमन इत्यादि। पैथोलॉजी का मुख्य इस्तेमाल बिमारी का पता लगाने के लिए विभिन्न तरह के लैबोरेट्री टेस्ट भी किया जाता है। इसमें रक्त, मुत्र और कोशिकाओं के टेस्ट शामिल रहते हैं। क्लीनिकल पैथोलॉजी in hindi जानने के बाद अब इससे संबंदित टेस्ट के बारे के जानते है?
क्लीनिकल पैथोलॉजी टेस्ट लिस्ट क्या है?
- यूरीन एनालिसिस
- फिजिकल एनालिसिस (रंग, आयतन, उपस्थित)
- केमिकल एनालिसिस ( Ph, स्पेसिफिक ग्रेविटी, प्रोटीन, ग्लूकोस, नॉटराइट, urobilinogen, billirubin )
- माइक्रोस्कोप एनालिसिस ( आरबीसी, wbc, बैक्टीरिया, क्रिस्टल, ईस्ट, एपिथेलियल सेल्स, पैरासाइट)
- स्टॉल एनालिसिस
- फिजिकल एनालिसिस (मात्रा, स्थिरता, रंग, म्यूकस)
- केमिकल एनालिसिस ( Ph, Occult blood)
- माइक्रोस्कोप एनालिसिस ( ईस्ट, बैक्टीरिया, परजीवी, RBC, WBC)
- CSF एनालिसिस
- Plural Fluid
- Synovial Fluid
- Ascitic Fluid
- Semen Analysis
क्लीनिकल पैथोलॉजी में करियर कैसे बनाएं?
क्लीनिकल पैथोलॉजी in hindi मे करिअर बनाने के लिए छात्र को सबसे पहले 12वीं कक्षा अच्छे अंकों से मेडिकल की फील्ड से पास करनी होगी। इसके बाद किसी बढ़ता प्राप्त यूनिवर्सिटी से अंडरग्रैजुएट की डिग्री मेडिकल की फील्ड में प्राप्त करनी होगी। यह डिग्री एमबीबीएस, बीएससी बायोलॉजी, बीएससी बायोटेक्नोलॉजी, बीएससी माइक्रोबायोलॉजी और इससे संबंधित विषयों से पूरी की जा सकती है।
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स्नातक की डिग्री प्राप्त करने के बाद छात्र को क्लीनिकल पैथोलॉजी की फील्ड में पोस्टग्रेजुएट डिप्लोमा कोर्स करना होगा। एमबीबीएस के बाद MD/ MS की डिग्री प्राप्त करनी होगी। अगर रिसर्च मे जाना चहाते है तो bsc के बाद msc कर सकते है।
कुछ शिक्षा संस्थान पोस्टग्रेजुएट डिप्लोमा इन क्लिनिकल पैथोलॉजी एडमिशन के लिए 60% न्यूनतम अंकों की मांग रखते हैं। एक अच्छे हो सरकारी कॉलेज से डिप्लोमा करने के लिए एंट्रेंस एग्जाम पास करना होगा। जिसके बाद इंटरव्यू के माध्यम से आप एडमिशन प्राप्त कर सकते हैं। पीजी डिप्लोमा इन क्लिनिकल पैथोलॉजी के लिए यह कुछ टॉप एंट्रेंस एग्जाम : AIIMS PG, JIPMER PG, NEET PG।
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क्लीनिकल पैथोलॉजी कोर्स की फीस?
यह शिक्षा संस्थान पर निर्भर करता है कि वह प्राइवेट या सरकारी है। आमतौर पर सरकारी कॉलेज में कम फीस होती है जो की न्यूनतम ₹5,000 से ₹35,000 तक हो सकती है। वहीं प्राइवेट भी अच्छा इंफ्रास्ट्रक्चर होने के कारण फीस ₹50,000 से ₹1.5 लाख तक हो सकती है।
क्लीनिकल पैथोलॉजी सिलेबस
जनरल पैथोलॉजी | सिस्टमैटिक पैथोलॉजी |
साइटोपैथोलॉजी | एनाटॉमी |
केमिकल पैथोलॉजी | हिस्टोपैथोलॉजी |
सीरियोलॉजी | रिकॉर्ड कीपिंग |
माइक्रोबायोलॉजी | क्लिनिकल बायोकेमेस्ट्री |
हैपेटॉलजी | ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन (ब्लड बैंकिंग) |
भारत में PGD क्लीनिकल पैथोलॉजी कॉलेज
- डॉ DY पाटील विद्यापीठ
- आर्म्ड फोर्स मेडिकल कॉलेज, पुणे
- मद्रास मेडिकल कॉलेज, चेन्नई
- जवाहरलाल इंस्टीट्यूट ऑफ़ पोस्टग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च, पुडुचेरी
- बैंगलोर मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट, बैंगलोर
- सेठ जीएस मेडिकल कॉलेज एंड कैंम हॉस्पिटल, मुंबई
- क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज, वेल्लोर
- ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंस, ऋषिकेश
क्लिनिकल पैथोलॉजी मास्टर डिग्री के बाद क्या करें?
क्लीनिकल पैथोलॉजी in hindi की फील्ड में डिप्लोमा कोर्स प्राप्त करने के बाद लैबोरेट्रीज में शुरुआती तौर पर असिस्टेंट टेक्नीशियन के रूप में काम कर सकते हैं । इसी के साथ उच्च शिक्षा के लिए पीएचडी इन क्लिनिकल पैथोलॉजी की तरफ जा सकते हैं। यह कोर्स छात्रों के लिए फायदेमंद होगा जो करियर रिसर्च की फील्ड में बनाना चाहते हैं।
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पीएचडी इन क्लिनिकल पैथोलॉजी
यह एक रिसर्च पर केंद्रित कोर्स है जो की 3 से 4 वर्ष का हो सकता है। पीएचडी करने के लिए क्लिनिकल पैथोलॉजी की फील्ड में मास्टर डिग्री होनी चाहिए जैसे: एमएससी, एमडी, एमएस। यह कोर्स करने के बाद खुद की पैथोलॉजी लैब खोल सकते हैं। और सीमित रिपोर्ट पर हस्ताक्षर भी दे सकते हैं।
CSIR NET या GATE एग्जाम के माध्यम से सेंट्रल यूनिवर्सिटी में phd में एडमिशन ले सकते हैं। एग्जाम पास करने के बाद इंटरव्यू के माध्यम से एडमिशन होगा। साथ ही JRF निकालने के बाद गवर्नमेंट से प्रतिमाह स्टीफन भी प्राप्त कर सकते हैं जिससे आप पीएचडी पूरी कर सकते हैं। phd पूरी करने के लिए क्लीनिकल पैथोलॉजी की फील्ड में चल रहे प्रोजेक्ट पर काम करना होगा और अपना जनरल पब्लिश करना होगा। इसके बाद ही पीएचडी की डिग्री प्राप्त होगी।
Phd में पैथोलॉजी आसान नहीं है बल्कि छात्र को बहुत सारी रिसर्च और चल रहे प्रोजेक्ट के बारे में जानकारी होना चाहिए। जैसे किसी यूनिवर्सिटी में क्लीनिकल पैथोलॉजी से संबंधित कोई प्रोजेक्ट चल रहा है और जो प्रोफेसर इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं; उन्हें असिस्टेंट प्रोफेसर की जरूरत होती है। तब वह मास्टर कोर्स वाले छात्रों को पीएचडी करने के लिए आमंत्रित करते हैं। जिसके लिए बाकायदा वह इंटरव्यू के माध्यम से छात्र की स्किल्स को देखते हैं और तभी एचडी में एडमिशन देते हैं।
क्या एमएससी + पीएचडी इन क्लिनिकल पैथोलॉजी के बाद डॉक्टर बन सकते हैं?
बहुत सारे छात्रों के मन में यह सवाल होता है कि क्या एमएससी + पीएचडी क्लिनिकल पैथोलॉजी करने के बाद डॉक्टर के रूप में हॉस्पिटल शुरू कर सकते हैं? इसका उत्तर है नहीं। डॉक्टर बनने के लिए एमबीबीएस की डिग्री होना जरूरी होता है। पीएचडी कोर्स सिर्फ रिसर्च क्षेत्र के लिए होता है।
पोस्टग्रेजुएट डिप्लोमा इन क्लिनिकल पैथोलॉजी जॉब्स
क्लीनिकल पैथोलॉजी in hindi जानने के बाद अब जॉब्स की बात करें तो यह डिप्लोमा कोर्स करने के बाद आप अपने कौशल के अनुसार क्लीनिकल पैथोलॉजिस्ट, लैब एग्जीक्यूटि, डरमोपैथोलॉजिस्ट, हेल्थकेयर वर्कर, मेडिकल लैब टेक्नीशियन के रूप में विभिन्न संस्थाओं में काम कर सकते हैं जैसे:
- नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ हेल्थ
- आर्म्ड फोर्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज
- डॉ लाल पथ लैब्स
- इंटेलिजेंस ब्यूरो
- अपोलो हॉस्पिटल
- सेंट्रल ब्यूरो का इन्वेस्टिगेशन
- प्राइवेट लैबोरेट्रीज
- क्लीनिकल लैब्स